अर्श महाकषाय
सामग्रीः कुटज, बिल्व, चित्रक, सूंठी, धमासा, हरड़, दारू हल्दी, वचा, चव्य, अतीस
- कुटज –
- रस : तिक्त, कषाय, गुण, लघु, रुक्ष, वीर्य, शीत
- विपाक : कटु
- उत्पादक महाभुत : वायु आकाश, वायु पृथ्वी
- गुण उपयोग : व्रण, कुष्ठ, बन्यत्व, दन्तरोग, रक्तपित, शोथ, ज्वर, विषमज्वर, अतीसार, प्रवाहिका, गृहाण, अर्थ, रक्तपित, आसुधात, उदशुल, प्रमेह, कृमिरोग, स्तन्यदोष, अश्मरी, कामला, उपदंश, मूत्र कुच्छ, वमन, ज्वर, अतीसार आदि रोगो मे लाभदायक है।
- बिल्व
- रस : कषाय, तिक्त, गुण, लघु, रुक्ष, वीर्य, उष्ण
- विपाक : कटु
- उत्पादक महाभूत : वायु पृथ्वी, वायु आकाश
- गुण उपयोग : पशीने की दुर्गन्ध, अग्निदग्धव्रत, सर्पदंश, पार्श्वशूलकटकजन्य, वेदना, व्रण, शिरशुल, गडमाला, आघात, मसूरिका नेत्र विकार,मलावरोग, उदरशुल, अतिसार, कर्णरोग, मुखपाक, प्रतिश्यायगर्भाशय रोग,पुपमेह आदि रोग में लाभदायक है।
- चित्रक
- रस : कटु, तिक्त, गुण, लघु, रुक्ष, तीक्ष्ण, वीर्य, उष्ण,
- विपाक : कटु
- उत्पादक महाभुत : वायु अग्नि, वायु अकाश
- गुण उपयोग : गुशोथ अर्श, सफेद दाग, श्लीपद, विद्रधि, ग्रान्थि, आमवात, कंडु, दद्रु, कुष्ठ, मुढगर्भ, आंत्रिक, ज्वर, हृदयशूल, सूतिका, ज्वर, प्रदर, जलोधर, अग्निमंद, अर्जीण, अमाशयात, वात, छदि, उदर, शुल, ग्रहणि, उदावर्त, स्वरभंग, पाडु, कामला, पलीहीदर, मेद रोग कास, दौर्बल्य, सीकतामेह, लॉलामेह, प्रतिशाय आदि रोगो मे लाभदायक है।
- सूंठी
- रस : कटु और गुण, लघु, शीत, वीर्य
- विपाक : मधुर
- उत्पादक महाभूत : वायु पृथ्वी, वायु आकाश
- गुण उपयोग : रुचिकारक, आमवात, नाशक, पाचक, चरपरी, हल्कि, कब्ज, वीर्य, वर्धक, सारक, वमन, श्वास, शूल, खासी, हृदय रोग, श्लीपद, शोथ, बवासीर, अफारा, उदर रोग, कप, वात, नाशक, सग्रहणी, अरुचि, पाण्डु, आद्यमान आदि रोग में लाभदायक है।
- धमासा
- रस : कटु, तिक्त, गुण, लघु, रुक्ष, वीर्य, उष्ण
- विपाक : कटु, मधुरउत्पादक
- महाभूत : वायु पृथ्वी, वायु आकाश
- गुण उपयोग : कप, पित, हर, श्वास, कण्ठमाल अर्थ, प्रमेह, पीड़िका, सुप्तिवात, मुखपाक, कण्डु, दाह, आपची, व्रण, वातज ज्वर, पितज ज्वर, कफज ज्वर, भ्रम ज्वर, अतिसार, रक्तमेह, मूत्र, कुच्छ, अर्थ, कंठ रोग, तृष्णा, कास, हिक्का, अन्त विंद्धि, अंशुपात, अम्लपित्त, विवन्ध, सामान्य दर्बलता आदि ।
- हरड़
- रस : पंचरस
- गुण : उष्ण
- विपाक : मधुर
- महाभूत : गुण त्रिदोष
- प्रयोग : दीपन, रेचक, मेघजनन, लेखन, वात, अनुलोमक, हृदयरोग, नेत्ररोग, स्मृतिकारक, अवस्थापन, दतकारक, कुष्ट, विवर्णता, नाशक, शिरोरोग, स्वरभंग, विषमज्वर, जीर्णज्वर, पाण्डु, कामला, शोष, शोथ, मूत्रघात, संग्रहणी, अतिसार, पथरी, वमन, प्रमेह, कृमि, श्वास, कास, विष, उदर रोग, अनाह, मलस्तंभ, अर्थ, गुल्म, हिक्का, अरुचि, कर्ण रोग आदि में लाभदायक होता है।
- दारु हल्दी
- रस : तिक्त, कषाय, गुण, रुक्ष, लघु
- विपाक : कटु, उष्ण, वीर्य
- उत्पादक महाभुत : वायु पृथ्वी, वायु अकाश
- गुण उपयोग : कफ, पित, शामक, दीपन, पित, शारक, वर्ण, यकृत, उतेजक, मृदुरेचक, कटु, पौष्टिक, रक्त शोधक, श्वेदल, शोथहर, वेदना, स्थापन, चक्षुष्य, विशम ज्वर, प्रतिबंधक, अग्निमंद, प्रवाहिका, कामला, प्रमेह, कास, प्रदर, वर्ण, नेत्र, कर्ण, विकार, गर्भाशय का शोथ, उपदंश, कंड्डु, विसर्प, चर्म विकार आदि रोगो मे लाभदायक है।
- वचा
- रस : कटु, तिक्त, गुण, लघु, तिक्ष्ण, वीर्य, उष्ण
- विपाक : कटु
- उत्पादक महाभुत : वायु अग्नि, आयु अकाश
- गुण उपयोग : अर्थ, सन्धिवात, पक्षाघात, कर्ण रोग, दन्त रोग, अपस्मार, शिरशुल, प्रतिशाय, उदर शुल, कष्टप्रसव, आत्रवृद्धि, शोथ ज्वर, वर्ण, बाल रोग, अपस्मार, डब्वा रोग, सुखा रोग, स्मृति मन्द, हिस्ट्रिया, हृदय रोग, मूत्रघात, विबंध, बुद्धिभ्रंश, अग्निमांद्य, अध्यमान, अम्लपित्त, कृमिरोग, अतिसार, रोहिणी (डिप्थीरिया), स्वरभेद, तृषा, स्वप्नमेह, कष्टार्तव, कष्टप्रसाव, तृष्णा, विष रोग आदि रोगों में लाभदायक है।
- चव्य
- रस : कटु, तिक्त, गुण, लघु, रुक्ष, वीर्य, उष्ण
- विपाक : कटु
- उत्पादक महाभूत : वायु अग्नि, वायु आकाश
- गुण उपयोग : अरोचक, उदर रोग, स्वरभेद, अग्निमांद्य, अतिसार, संग्रहणी, मदात्य, प्रतिश्याय, श्वास आदि रोगो में लाभदायक है।
- अतीस
- रस : तिक्त, कटु, गुण, लघु, रुक्ष, वीर्य, उष्ण
- विपाक : कटु
- उत्पादक महाभूत : वायु आकाश, वायु अग्नि
- गुण उपयोग : ज्वर श्वसन कज्वर छर्दि, कास, प्रतिश्याय, अतिसार, रक्तातिसार, हिक्का, प्रवाहिका, ग्रहणी, आमशूल, पांडु, अग्निमांद्य कर्णमुलशोथ, दौर्बल्य आदि रोगो में लाभदायक है।
₹160.00 – ₹300.00
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